।।1.5।।
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्। पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः।।1.5।।
dhṛiṣhṭaketuśhchekitānaḥ kāśhirājaśhcha vīryavān purujit kuntibhojaśhcha śhaibyaśhcha nara-puṅgavaḥ yudhāmanyuśhcha vikrānta uttamaujāśhcha vīryavān
dhṛiṣhṭaketuḥ—Dhrishtaketu; chekitānaḥ—Chekitan; kāśhirājaḥ—Kashiraj; cha—and; vīrya-vān—heroic; purujit—Purujit; kuntibhojaḥ—Kuntibhoj; cha—and; śhaibyaḥ—Shaibya; cha—and; nara-puṅgavaḥ—best of men; yudhāmanyuḥ—Yudhamanyu; cha—and; vikrāntaḥ—courageous; uttamaujāḥ—Uttamauja; cha—and; vīrya-vān—gallant;
अनुवाद
।।1.4 -- 1.6।। यहाँ (पाण्डवों की सेना में) बड़े-बड़े शूरवीर हैं, जिनके बहुत बड़े-बड़े धनुष हैं तथा जो युद्ध में भीम और अर्जुनके समान हैं। उनमें युयुधान (सात्यकि), राजा विराट और महारथी द्रुपद भी हैं। धृष्टकेतु और चेकितान तथा पराक्रमी काशिराज भी हैं। पुरुजित् और कुन्तिभोज--ये दोनों भाई तथा मनुष्योंमें श्रेष्ठ शैब्य भी हैं। पराक्रमी युधामन्यु और पराक्रमी उत्तमौजा भी हैं। सुभद्रापुत्र अभिमन्यु और द्रौपदी के पाँचों पुत्र भी हैं। ये सब-के-सब महारथी हैं।
टीका
।।1.4 --1.6।। व्याख्या--'अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि'-- जिनसे बाण चलाये जाते हैं, फेंके जाते हैं, उनका नाम 'इष्वास' अर्थात् धनुष है। ऐसे बड़े-बड़े इष्वास (धनुष) जिनसे पास हैं, वे सभी 'महेष्वास' हैं। तात्पर्य है कि बड़े धनुषोंपर बाण चढ़ाने एवं प्रत्यञ्चा खींचनेमें बहुत बल लगता है। जोरसे खींचकर छोड़ा गया बाण विशेष मार करता है। ऐसे बड़े-बड़े धनुष पासमें होनेके कारण ये सभी बहुत बलवान् और शूरवीर हैं। ये मामूली योद्धा नहीं हैं। युद्धमें ये भीम और अर्जुनके समान हैं अर्थात् बलमें ये भीमके समान और अस्त्र-शस्त्रकी कलामें ये अर्जुनके समान हैं।