भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः। अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च।।1.8।।
bhavānbhīṣhmaśhcha karṇaśhcha kṛipaśhcha samitiñjayaḥ aśhvatthāmā vikarṇaśhcha saumadattis tathaiva cha
Word Meanings
अनुवाद
।।1.8।। आप (द्रोणाचार्य) और पितामह भीष्म तथा कर्ण और संग्रामविजयी कृपाचार्य तथा वैसे ही अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा।
टीका
।।1.8।। व्याख्या-- 'भवान् भीष्मश्च'-- आप और पितामह भीष्म--दोनों ही बहुत विशेष पुरुष हैं। आप दोनोंके समकक्ष संसारमें तीसरा कोई भी नहीं है। अगर आप दोनोंमेंसे कोई एक भी अपनी पूरी शक्ति लगाकर युद्ध करे, तो देवता, यक्ष, राक्षस, मनुष्य आदिमें ऐसा कोई भी नहीं है जो कि आपके सामने टिक सके। आप दोनोंके पराक्रमकी बात जगत्में प्रसिद्ध ही है। पितामह भीष्म तो आबाल ब्रह्मचारी हैं, और इच्छामृत्यु हैं अर्थात् उनकी
इच्छाके बिना उन्हें कोई मार ही नहीं सकता। [महाभारत-युद्धमें द्रोणाचार्य धृष्टद्युम्नके द्वारा मारे गये और पितामह भीष्मने अपनी इच्छासे ही सूर्यके उत्तरायण होनेपर अपने प्राणोंका त्याग कर दिया।] 'कर्णश्च;-- कर्ण तो बहुत ही शूरवीर है। मुझे तो ऐसा विश्वास है कि वह अकेला ही पाण्डव-सेनापर विजय प्राप्त कर सकता है। उसके सामने अर्जुन भी कुछ नहीं कर सकता। ऐसा वह कर्ण भी हमारे पक्षमें है। [कर्ण महाभारत-युद्धमें अर्जुनके द्वारा मारे गये।]