।।10.27।।

उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम्। ऐरावतं गजेन्द्राणां नराणां च नराधिपम्।।10.27।।

uchchaiḥśhravasam aśhvānāṁ viddhi mām amṛitodbhavam airāvataṁ gajendrāṇāṁ narāṇāṁ cha narādhipam

uchchaiḥśhravasam—Uchchaihshrava; aśhvānām—amongst horses; viddhi—know; mām—me; amṛita-udbhavam—begotten from the churning of the ocean of nectar; airāvatam—Airavata; gaja-indrāṇām—amongst all lordly elephants; narāṇām—amongst humans; cha—and; nara-adhipam—the king

अनुवाद

।।10.27।। घोड़ोंमें अमृतके साथ समुद्रसे प्रकट होनेवाले उच्चैःश्रवा नामक घोड़ेको, श्रेष्ठ हाथियोंमें ऐरावत नामक हाथीको और मनुष्योंमें राजाको मेरी विभूति मानो।

टीका

।।10.27।। व्याख्या--'उच्चैःश्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम्'--समुद्रमन्थनके समय प्रकट होनेवाले चौदह रत्नोंमें उच्चैःश्रवा घोड़ा भी एक रत्न है। यह इन्द्रका वाहन और सम्पूर्ण घोड़ोंका राजा है। इसलिये भगवान्ने इसको अपनी विभूति बताया है।