Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः।।12.8।।

mayy eva mana ādhatsva mayi buddhiṁ niveśhaya nivasiṣhyasi mayy eva ata ūrdhvaṁ na sanśhayaḥ

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Word Meanings

mayion me
evaalone
manaḥmind
ādhatsvafix
mayion me
buddhimintellect
niveśhayasurrender
nivasiṣhyasiyou shall always live
mayiin me
evaalone
ataḥ ūrdhvamthereafter
nanot
sanśhayaḥdoubt
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अनुवाद

।।12.8।।तू मेरेमें मनको लगा और मेरेमें ही बुद्धिको लगा; इसके बाद तू मेरेमें ही निवास करेगा -- इसमें संशय नहीं है।

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टीका

।।12.8।। व्याख्या--'मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय'-- भगवान्के मतमें वे ही पुरुष उत्तम योगवेत्ता हैं, जिनको भगवान्के साथ अपने नित्ययोगका अनुभव हो गया है। सभी साधकोंको उत्तम योगवेत्ता बनानेके उद्देश्यसे भगवान् अर्जुनको निमित्त बनाकर यह आज्ञा देते हैं कि मुझ परमेश्वरको ही परमश्रेष्ठ और परम प्रापणीय मानकर बुद्धिको मेरेमें लगा दे और मेरेको ही अपना परम प्रियतम मानकर मनको मेरेमें लगा दे।