।।10.22।।
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः। इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना।।10.22।।
vedānāṁ sāma-vedo ’smi devānām asmi vāsavaḥ indriyāṇāṁ manaśh chāsmi bhūtānām asmi chetanā
vedānām—amongst the Vedas; sāma-vedaḥ—the Sāma Veda; asmi—I am; devānām—of all the celestial gods; asmi—I am; vāsavaḥ̣—Indra; indriyāṇām—of amongst the senses; manaḥ—the mind; ca—and; asmi—I am; bhūtānām—amongst the living beings; asmi—I am; chetanā—consciousness
अनुवाद
।।10.22।। मैं वेदोंमें सामवेद हूँ, देवताओंमें इन्द्र हूँ, इन्द्रियोंमें मन हूँ और प्राणियोंकी चेतना हूँ।
टीका
।।10.22।। व्याख्या--'वेदानां सामवेदोऽस्मि'--वेदोंकी जो ऋचाएँ स्वरसहित गायी जाती हैं, उनका नाम सामवेद है। सामवेदमें इन्द्ररूपसे भगवान्की स्तुतिका वर्णन है। इसलिये सामवेद भगवान्की विभूति है।