बुद्धिर्ज्ञानमसंमोहः क्षमा सत्यं दमः शमः। सुखं दुःखं भवोऽभावो भयं चाभयमेव च।।10.4।। अहिंसा समता तुष्टिस्तपो दानं यशोऽयशः। भवन्ति भावा भूतानां मत्त एव पृथग्विधाः।।10.5।।
buddhir jñānam asammohaḥ kṣhamā satyaṁ damaḥ śhamaḥ sukhaṁ duḥkhaṁ bhavo ’bhāvo bhayaṁ chābhayameva cha ahiṁsā samatā tuṣṭis tapo dānaṁ yaśo 'yaśaḥ bhavanti bhāvā bhūtānāṁ matta eva pṛthag-vidhāḥ
Word Meanings
अनुवाद
।।10.4 -- 10.5।। बुद्धि, ज्ञान, असम्मोह, क्षमा, सत्य, दम, शम, सुख, दुःख, भव, अभाव, भय, अभय, अहिंसा, समता, तुष्टि, तप, दान, यश और अपयश -- प्राणियोंके ये अनेक प्रकारके और अलग-अलग (बीस) भाव मेरेसे ही होते हैं। ।।10.4 -- 10.5।। बुद्धि, ज्ञान, असम्मोह, क्षमा, सत्य, दम, शम, सुख, दुःख, भव, अभाव, भय, अभय, अहिंसा, समता, तुष्टि, तप, दान, यश और अपयश -- प्राणियोंके ये अनेक प्रकारके और अलग-अलग (बीस) भाव मेरेसे ही होते हैं।
टीका
।।10.4।। व्याख्या--'बुद्धिः'--उद्देश्यको लेकर निश्चय करनेवाली वृत्तिका नाम बुद्धि है।'ज्ञानम्' -- सार-असार, ग्राह्य-अग्राह्य, नित्य-अनित्य, सत्-असत्, उचित-अनुचित, कर्तव्य-अकर्तव्य -- ऐसा जो विवेक अर्थात् अलग-अलग जानकारी है, उसका नाम 'ज्ञान' है। यह ज्ञान (विवेक) मानवमात्रको भगवान्से मिला है। ।।10.5।। व्याख्या--'बुद्धिः'--उद्देश्यको लेकर निश्चय करनेवाली वृत्तिका नाम बुद्धि है।'ज्ञानम्'--सार-असार,
ग्राह्य-अग्राह्य, नित्य-अनित्य, सत्-असत्, उचित-अनुचित, कर्तव्यअकर्तव्य --ऐसा जो विवेक अर्थात् अलगअलग जानकारी है, उसका नाम 'ज्ञान' है। यह ज्ञान (विवेक) मानवमात्रको भगवान्से मिला है।