नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परंतप। एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया।।10.40।।
nānto ’sti mama divyānāṁ vibhūtīnāṁ parantapa eṣha tūddeśhataḥ prokto vibhūter vistaro mayā
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Word Meanings
na—not
antaḥ—end
asti—is
mama—my
divyānām—divine
vibhūtīnām—manifestations
parantapa—Arjun, the conqueror of the enemies
eṣhaḥ—this
tu—but
uddeśhataḥ—just one portion
proktaḥ—declared
vibhūteḥ—of (my) glories
vistaraḥ—the breath of the topic
mayā—by me
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अनुवाद
।।10.40।। हे परंतप अर्जुन ! मेरी दिव्य विभूतियोंका अन्त नहीं है। मैंने तुम्हारे सामने अपनी विभूतियोंका जो विस्तार कहा है, यह तो केवल संक्षेपसे कहा है।
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टीका
।।10.40।। व्याख्या--'मम दिव्यानां (टिप्पणी प0 568.2) विभूतीनाम्'--'दिव्य' शब्द अलौकिकता, विलक्षणताका द्योतक है। साधकका मन जहाँ चला जाय, वहीं भगवान्का चिन्तन करनेसे यह दिव्यता वहीं प्रकट हो जायगी; क्योंकि भगवान्के समान दिव्य कोई है ही नहीं। देवता जो दिव्य कहे जाते हैं, वे भी नित्य ही भगवान्के दर्शनकी इच्छा रखते हैं, --