Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः।मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते।।13.19।।

iti kṣhetraṁ tathā jñānaṁ jñeyaṁ choktaṁ samāsataḥ mad-bhakta etad vijñāya mad-bhāvāyopapadyate

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Word Meanings

itithus
kṣhetramthe nature of the field
tathāand
jñānamthe meaning of knowledge
jñeyamthe object of knowledge
chaand
uktamrevealed
samāsataḥin summary
mat-bhaktaḥmy devotee
etatthis
vijñāyahaving understood
mat-bhāvāyamy divine nature
upapadyateattain
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अनुवाद

।।13.19।।इस प्रकार क्षेत्र, ज्ञान और ज्ञेयको संक्षेपसे कहा गया। मेरा भक्त इसको तत्त्वसे जानकर मेरे भावको प्राप्त हो जाता है।

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टीका

।।13.19।। व्याख्या --   इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं ज्ञेयं चोक्तं समासतः -- इसी अध्यायके पाँचवें और छठे श्लोकमें जिसका वर्णन किया गया है? वह क्षेत्र है सातवेंसे ग्यारहवें श्लोकतक जिस साधनसमुदायका,वर्णन किया गया है? वह ज्ञान है और बारहवेंसे सत्रहवें श्लोकतक जिसका वर्णन किया गया है? वह ज्ञेय है। इस तरह मैंने क्षेत्र? ज्ञान और ज्ञेयका संक्षेपसे वर्णन किया है।मद्भक्त एतद्विज्ञाय मद्भावायोपपद्यते -- मेरा

भक्त क्षेत्रको? साधनसमुदायरूप ज्ञानको और ज्ञेय तत्त्व(परमात्मा)को तत्त्वसे जानकर मेरे भावको प्राप्त हो जाता है।क्षेत्रको ठीक तरहसे जान लेनेपर क्षेत्रसे सम्बन्धविच्छेद हो जाता है। ज्ञानको अर्थात् साधनसमुदायको ठीक तरहसे जाननेसे? अपनानेसे देहाभिमान (व्यक्तित्व) मिट जाता है। ज्ञेय तत्त्वको ठीक तरहसे जान लेनेपर उसकी प्राप्ति हो जाती है अर्थात् परमात्मतत्त्वके साथ अभिन्नताका अनुभव हो जाता है। सम्बन्ध --

इसी अध्यायके पहले और दूसरे श्लोकमें जिस क्षेत्र और क्षेत्रज्ञका संक्षेपसे वर्णन किया था? उसीका विस्तारसे वर्णन करनेके लिये आगेका प्रकरण आरम्भ करते हैं।

भगवद गीता 13.19 - अध्याय 13 श्लोक 19 हिंदी और अंग्रेजी