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अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसङ्घैः। भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथाऽसौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः।।11.26।। वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि। केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु संदृश्यन्ते चूर्णितैरुत्तमाङ्गैः।।11.27।।

amī cha tvāṁ dhṛitarāśhtrasya putrāḥ sarve sahaivāvani-pāla-saṅghaiḥ bhīṣhmo droṇaḥ sūta-putras tathāsau sahāsmadīyair api yodha-mukhyaiḥ vaktrāṇi te tvaramāṇā viśhanti danṣhṭrā-karālāni bhayānakāni kechid vilagnā daśhanāntareṣhu sandṛiśhyante chūrṇitair uttamāṅgaiḥ vaktrāṇi te tvaramāṇā viśanti daṁṣṭrā-karālāni bhayānakāni kecid vilagnā daśanāntareṣu sandṛśyante cūrṇitair uttamāṅgaiḥ

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Word Meanings

amīthese
chaand
tvāmyou
dhṛitarāśhtrasyaof Dhritarashtra
putrāḥsons
sarveall
sahawith
evaeven
avani-pālatheir allied kings
sanghaiḥassembly
bhīṣhmaḥBheeshma
droṇaḥDronacharya
sūta-putraḥKarna
tathāand also
asauthis
sahawith
asmadīyaiḥfrom our side
apialso
yodha-mukhyaiḥgenerals
vaktrāṇimouths
teyour
tvaramāṇāḥrushing
viśhantienter
danṣhṭrāteeth
karālāniterrible
bhayānakānifearsome
kechitsome
vilagnāḥgetting stuck
daśhana-antareṣhubetween the teeth
sandṛiśhyanteare seen
chūrṇitaiḥgetting smashed
uttama-aṅgaiḥheads vaktrāṇi—mouths
teYour
tvaramāṇāḥfearful
viśantientering
daṁṣṭrāteeth
karālāniterrible
bhayānakānivery fearful
kecitsome of them
vilagnāḥbeing attacked
daśanāntareṣubetween the teeth
sandṛśyantebeing seen
cūrṇitaiḥsmashed
uttama-aṅgaiḥby the head
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अनुवाद

।।11.26 -- 11.27।। हमारे मुख्य योद्धाओंके सहित भीष्म, द्रोण और वह कर्ण भी आपमें प्रविष्ट हो रहे हैं। राजाओंके समुदायोंके सहित धृतराष्ट्रके वे ही सब-के-सब पुत्र आपके विकराल दाढ़ोंके कारण भयंकर मुखोंमें बड़ी तेजीसे प्रविष्ट हो रहे हैं। उनमेंसे कई-एक तो चूर्ण हुए सिरोंसहित आपके दाँतोंके बीचमें फँसे हुए दीख रहे हैं। ।।11.26 -- 11.27।। हमारे मुख्य  योद्धाओंके सहित भीष्म, द्रोण और वह कर्ण भी आपमें प्रविष्ट हो रहे हैं। राजाओंके समुदायोंके सहित धृतराष्ट्रके वे ही सब-के-सब पुत्र आपके विकराल दाढ़ोंके कारण भयंकर मुखोंमें बड़ी तेजीसे प्रविष्ट हो रहे हैं। उनमेंसे कईएक तो चूर्ण हुए सिरोंसहित आपके दाँतोंके बीचमें फँसे हुए दीख रहे हैं।

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टीका

।।11.26।। व्याख्या--'भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथासौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः'--हमारे पक्षके धृष्टद्युम्न, विराट्, द्रुपद आदि जो मुख्य-मुख्य योद्धालोग हैं, वे सब-के-सब धर्मके पक्षमें हैं और केवल अपना कर्तव्य समझकर युद्ध करनेके लिये आये हैं। हमारे इन सेनापतियोंके साथ पितामह भीष्म, आचार्य द्रोण और वह प्रसिद्ध सूतपुत्र कर्ण आपमें प्रविष्ट हो रहे हैं। यहाँ भीष्म, द्रोण और कर्णका नाम लेनेका तात्पर्य है

कि ये तीनों ही अपने कर्तव्यका पालन करनेके लिये युद्धमें आये थे (टिप्पणी प0 591)। 'अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसङ्घैः'--दुर्योधनके पक्षमें जितने राजालोग हैं, जो युद्धमें दुर्योधनका प्रिय करना चाहते हैं (गीता 1। 23) अर्थात् दुर्योधनको हितकी सलाह नहीं दे रहे हैं, उन सभी,राजाओंके समूहोंके साथ धृतराष्ट्रके दुर्योधन, दुःशासन आदि सौ पुत्र विकराल दाढ़ोंके कारण अत्यन्त भयानक आपके मुखोंमें

बड़ी तेजीसे प्रवेश कर रहे हैं--'वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि'।विराट्रूपमें वे चाहे भगवान्में प्रवेश करें, चाहे भगवान्के मुखोंमें जायँ, वह एक ही लीला है। परन्तु भावोंके अनुसार उनकी गतियाँ अलग-अलग प्रतीत हो रही हैं। इसलिये भगवान्में जायँ अथवा मुखोंमें जायँ, वे हैं तो विराट्रूपमें ही। ।।11.27।। व्याख्या--'भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथासौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः'--हमारे पक्षके

धृष्टद्युम्न, विराट्, द्रुपद आदि जो मुख्य-मुख्य योद्धालोग हैं, वे सब-के-सब धर्मके पक्षमें हैं और केवल अपना कर्तव्य समझकर युद्ध करनेके लिये आये हैं। हमारे इन सेनापतियोंके साथ पितामह भीष्म, आचार्य द्रोण और वह प्रसिद्ध सूतपुत्र कर्ण आपमें प्रविष्ट हो रहे हैं। यहाँ भीष्म, द्रोण और कर्णका नाम लेनेका तात्पर्य है कि ये तीनों ही अपने कर्तव्यका पालन करनेके लिये युद्धमें आये थे (टिप्पणी प0 591)। 'अमी च त्वां

धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसङ्घैः'-- दुर्योधनके पक्षमें जितने राजालोग हैं, जो युद्धमें दुर्योधनका प्रिय करना चाहते हैं (गीता 1। 23) अर्थात् दुर्योधनको हितकी सलाह नहीं दे रहे हैं, उन सभी,राजाओंके समूहोंके साथ धृतराष्ट्रके दुर्योधन, दुःशासन आदि सौ पुत्र विकराल दाढ़ोंके कारण अत्यन्त भयानक आपके मुखोंमें बड़ी तेजीसे प्रवेश कर रहे हैं --

भगवद गीता 11.26-27 - अध्याय 11 श्लोक 26-27 हिंदी और अंग्रेजी