Bhagavad Gita: Chapter <%= chapter %>, Verse <%= verse %>

अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम्। देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि।।7.23।।

antavat tu phalaṁ teṣhāṁ tad bhavatyalpa-medhasām devān deva-yajo yānti mad-bhaktā yānti mām api

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Word Meanings

anta-vatperishable
tubut
phalamfruit
teṣhāmby them
tatthat
bhavatiis
alpa-medhasāmpeople of small understanding
devānto the celestial gods
deva-yajaḥthe worshipers of the celestial gods
yāntigo
matmy
bhaktāḥdevotees
yāntigo
māmto me
apiwhereas
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अनुवाद

।।7.23।। परन्तु उन अल्पबुद्धिवाले मनुष्योंको उन देवताओंकी आराधनाका फल अन्तवाला (नाशवान्) ही मिलता है। देवताओंका पूजन करनेवाले देवताओंको प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त मेरे ही प्राप्त होते हैं।

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टीका

।।7.23।। व्याख्या--'अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम्'--देवताओंकी उपासना करनेवाले अल्पबुद्धि-युक्त मनुष्योंको अन्तवाला अर्थात् सीमित और नाशवान् फल मिलता है। यहाँ शङ्का होती है कि भगवान्के द्वारा विधान किया हुआ फल तो नित्य ही होना चाहिये, फिर उनको अनित्य फल क्यों मिलता है? इसका समाधान यह है कि एक तो उनमें नाशवान् पदार्थोंकी कामना है और दूसरी बात, वे देवताओंको भगवान्से अलग मानते हैं। इसलिये उनको

नाशवान् फल मिलता है। परन्तु उनको दो उपायोंसे अविनाशी फल मिल सकता है--एक तो वे कामना न रखकर (निष्कामभावसे) देवताओंकी उपासना करें तो उनको अविनाशी फल मिल जायगा और दूसरा, वे देवताओंको भगवान्से भिन्न न समझकर, अर्थात् भगवत्स्वरूप ही समझकर उनकी उपासना करें तो यदि कामना रह भी जायगी, तो भी समय पाकर उनको अविनाशी फल मिल सकता है अर्थात् भगवत्प्राप्ति हो सकती है।यहाँ 'तत्' कहनेका तात्पर्य है कि फल तो मेरा विधान

किया हुआ ही मिलता है, पर कामना होनेसे वह नाशवान् हो जाता है।यहाँ 'अल्पमेधसाम्' कहनेका तात्पर्य है कि उनको नियम तो अधिक धारण करने पड़ते हैं तथा विधियाँ भी अधिक करनी पड़ती हैं, पर फल मिलता है सीमित और अन्तवाला। परन्तु मेरी आराधना करनेमें इतने नियमोंकी जरूरत नहीं है तथा उतनी विधियोंकी भी आवश्यकता नहीं है, पर फल मिलता है असीम और अनन्त। इस तरह देवताओंकी उपासनामें नियम हों अधिक, फल हो थोड़ा और हो जाय जन्म-मरणरूप

बन्धन और मेरी आराधनामें नियम हों कम, फल हो अधिक और हो जाय कल्याण--ऐसा होनेपर भी वे उन देवताओंकी उपासनामें लगते हैं और मेरी उपासनामें नहीं लगते। इसलिये उनकी बुद्धि अल्प है, तुच्छ है।

भगवद गीता 7.23 - अध्याय 7 श्लोक 23 हिंदी और अंग्रेजी